अहंकार और क्रोध से होता है मानव का विनाश : आनंद नारायण
मऊ बाजार में आयोजित रामकथा के दौरान राम विवाह का प्रसंग सुन श्रोता हुए भाव-विभोर
Samvad AapTak:अभिमान और क्रोध मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है, इससे सूख, शांति, स्मृद्धि एवं वैभव का नाश हो जाता है, इसीलिए हमें अपने जीवन को खुशहाल बनाए रखने के लिए अभिमान और क्रोध से बचना चाहिए, उक्त बातें प्रखंड अंतर्गत मऊ बाजार में स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में आयोजित 9वें वार्षिकोत्सव यज्ञ के उपलक्ष्य में चल रहे रामचरितमानस पाठ सह रामकथा के तीसरे दिन सोमवार को कथा व्यास आचार्य आनंद नारायण शरण ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि जब रावण जैसे विद्वान और पराक्रमी योद्धा का अभिमान चकनाचूर हो गया, तो हम सभी तो साधारण मानव है। ऐसे में अपने जीवन में सुख और शांति कायम रखने के लिए हमें सरल, सहज और शालीन बनना चाहिए। व्यास पीठ से तीसरे दिन रामकथा के दौरान राम विवाह से जुड़े प्रसंग का वर्णन किया गया, जिसे सुन श्रोता आनंदित होते रहे। नालंदा से पधारे कथा व्यास स्वामी आनंद नारायण शरण जी महाराज ने श्रीराम के जीवन आदर्श एवं उनके गुणों का बखान करते हुए कहा कि भगवान राम का अवतार लोगों को मनुष्यता का पाठ पढ़ाने के लिए हुआ है। हमें श्रीराम के जीवन आदर्श को आपने जीवन में उतारना चाहिए। इस अवसर पर आचार्य आनंद नारायण शरणं के साथ प्रिया राजवंशी, जानवी राठौड़ एवं राजाराम शरण के द्वारा संगीतमय ध्वनि के साथ प्रस्तुत राम विवाह प्रसंग सुन श्रोता झूमने को विवश हो गए। राम विवाह व जनक नंदिनी जानकी के संबंध में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि राम का जीवन चरित्र हमें बहुत कुछ सिखाता है, उन्होंने हर परिस्थिति में धैर्य और गंभीर रह कर मुस्कुराते हुए समस्याओं का सामना किया। वहीं माता सीता ने दुखों को सहकर भी पतिव्रता स्त्री के रूप में स्वयं को सिद्ध किया।
राम कथा का पाठ करते श्रद्धालु
श्री शरण ने कहा कि मिथिला वासी धन्य है, जहां भगवान राम बारात लेकर आए थे। यह ऐसी पालन धरा है, जहां आज भी भगवान को भी गाली दी जाती है। आज भी हमारी संस्कृति में विवाह पर गाली देना शुभ माना जाता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन से हमें वेस्ट मैनेजमेंट, लीडरशिप एवं मर्यादा की सीख मिलती है। यदि राम के गुणों को जीवन में उतार लिया जाए तो हमारा जीवन कितना सुंदर हो जाएगा। विदेह राज जनक एवं वैदेही सीता के जीवन चरित्र का भी वर्णन विस्तार से किया गया, इसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए । 9 दिनों तक चलने वाले इस राम कथा के तीसरे दिन कथा पांडाल में भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे, जिन्होंने मैथिली परंपरा के अनुसार राम विवाह का प्रसंग सुनकर बेहद आनंद एवं खुशी का अनुभव किया। वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आचार्य के संग रामचरितमानस का पाठ किया। इस अवसर पर मंदिर समिति सदस्यों के अलावा बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धालु मौजूद थे।
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