राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अंतर्गत मोटे अनाज व्यंजन प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन


बाढ़: कृषि विज्ञान
 केन्द्र अगवानपुर बाढ़, पटना में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अंतर्गत मोटे अनाज व्यंजन प्रतियोगिता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतियोगिता में भाग ले रहीं प्रगतिशील महिलाओं को मोटे अनाज के पोषण गुणों के बारे में विस्तृत परिचर्चा की गयी। केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डाo रीता सिंह ने बताया कि मोटे अनाज के सेवन से विभिन्न प्रकार के रोगों से  छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं जैसे जिंक, पोटैशियम, फाइबर, प्रोटीन इत्यादि। इसके सेवन से कोलेस्ट्रोल नियंत्रण, बच्चों में मानसिक विकास, दिल को स्वस्थ रखना तथा डायबिटीज का नियंत्रण होता है। डाo सिंह ने महत्वपूर्ण के बारे में विस्तृत रूप से बतलाया।

1.ज्वार: यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और पाचन तथा वजन नियंत्रण में उत्कृष्ट होता है। ज्वार फाइबर का बहुत अच्छा श्रोत है और स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन मुक्त होता है। 

2. बजरा: बाजरा घुलनशील फाइबर से भरपूर होता है, जो वजन नियंत्रण के लिए उत्तम होता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और आयरन का शानदार श्रोत है।

3. कंगनी: कंगनी में कैल्शियम और आयरन भी अच्छी मात्रा में होता है, जो हड्डी और मांसपेशियों की सेहत के लिए आवश्यक है। इसमें विटामिन ए और ई से लेकर पोटैशियम और फाॅस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।

4. रागी: रागी में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम के साथ-साथ कई एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो स्वस्थ, चमकदान और झर्रियों से मुक्त त्वचा को बढ़ा देते हैं।

5. लिटिल मिलेटस: इसमें अघुलनशील फाइबर प्रचुर मात्रा में पाये जाने के कारण यह आंत स्वास्थ के लिए अच्छा है और गैस्ट्रिक समस्याओं जैसे कि सूजन और अनियमित मल त्याग में मदद करता है।


इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकार के मोटे अनाजों का व्यंजन बनाया गया जिसमें मुख्यतः कंगनी का हलवा, कंगनी का खिचड़ी, रागी का खीर, कुटकी का खिचड़ी, कंगनी का डोसा, बाजरा का ठेकुआ, बाजरे का नमकीन, ज्वार का पोहा, सांवा का खीर, मड़ुआ का रोटी, मड़ुआ का नमकीन, बाजरा का नमकीन इत्यादि है।

 डाoपुष्पम पटेल, विषय-वस्तु विषेशज्ञ (उद्यान) एवं श्रीमती संगीता कुमारी, विशय वस्तु विषेशज्ञ (पौधा प्रजनन एवं अनुवांषिक) के निर्देशन में मोटे अनाज के व्यंजनों को बनाया गया। इस कार्यक्रम में केन्द्र के वैज्ञानिक डाo मृणाल वर्मा एवं श्री राजीव कुमार के साथ-साथ सभी कर्मियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस कार्यक्रम में कुल 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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