जाते-जाते भावुक हुए डीएसपी, कहा चलते-चलते यूं ही याद रखना.... कभी अलविदा ना कहना....
मैराथन दौड़ और ऑपरेशन संस्कार के लिए लंबे समय तक याद किए जाएंगे; डीएसपी दिनेश पाण्डेय
Samvad AapTak: विगत तीन वर्षों से भी अधिक समय से दलसिंहसराय के पुलिस उपाधीक्षक रहे दिनेश कुमार पाण्डेय अपनी दौड़ के लिए क्षेत्र वासियों द्वारा लम्बे समय तक याद किए जाएंगे। एक पुलिस पदाधिकारी के द्वारा रोजाना अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न मार्गो पर लगाई जाने वाली दौड़ के कारण एक और जहां अपराध का ग्राफ कम हुआ, वहीं दूसरी ओर छात्रों और युवाओं को उनसे नई प्रेरणा मिली । क्षेत्र में बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने में उनके द्वारा लगाई गई दौड़ का अहम योगदान रहा । जानकार बताते हैं कि पुलिस उपाधीक्षक दिनेश कुमार पाण्डेय अक्सर ग्रामीण एवं सुनसान सड़कों पर सुबह के अलावा संध्या व रात्रि के समय दौड़ लगाया करते थे, जिससे असमाजिक तत्व के लोगों भयाक्रांत रहते थे, वहीं आम नागरिक आवश्यकता पड़ने पर निर्भीक होकर रात्रि के समय भी अपने घरों से निकल पड़ते थे। दूसरी ओर आपराधिक प्रवृति के लोग हमेशा सतर्क रहा करते थे।
*अपनी मेहनत के बल पर एयरफोर्स से डीएसपी तक का किया सफर...
दलसिंहसराय के पुलिस उपाधीक्षक रहे दिनेश कुमार पाण्डेय का जन्म भभुआ जिले के कैमूर पहाड़ियों के बीच स्थित चैनपुर के नंदना गांव में नवंबर 1982 में हुआ। उन्होंने भभुआ उच्च विद्यालय से 1997 में मैट्रिक की परीक्षा पास की तथा इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए वाराणसी चले गए । 2001 में उनका चयन वायु सेना के तकनीकी कोर में हुआ, पर सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का था, इसलिए व्यक्तिगत जीवन में छात्र के रूप में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से स्नातक तथा बरेली कॉलेज से एमए किया। 2010 में नेट की परीक्षा पास की। वे बिहार पुलिस सेवा में 2013 में बहाल हुए तथा एसटीएफ में काम किया। 2017 में पहली बार चंपारण जिले के पकड़ीदयाल अनुमंडल में पुलिस उपाधीक्षक के तौर पर पदस्थापित हुए, तथा 2020 में अपने कार्यकाल की दूसरी पोस्टिंग के तहत दलसिंहसराय अनुमंडल में बतौर एसडीपीओ कार्य किया।
*तंगी से मिली प्रेरणा
डीएसपी दिनेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि शुरूआती दिनों में आर्थिक तंगी और पिता डॉ. शिव मूरत पाण्डेय के अनुशासन ने मुझे जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित किया। उस समय लोगों की गरीबी, तड़प, हिंसा एवं दर्द देख एक बात समझ में आई कि यदि नई पीढ़ी के पास नैतिक शिक्षा हो तो उन्हें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। यही कारण है कि तब से लेकर आज तक मैं जहां भी रहता हूं, आसपास के छात्रों और युवाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ना आवश्यक समझता हूं, ताकि वे भी अपनी मंजिल को पा सकें।
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