पतिव्रता धर्म हर स्त्री के लिए आवश्यक : आनंद नारायण शरण
संवाद आपतक: संसार में प्रत्येक स्त्री के लिए पतिव्रता धर्म का पालन करना जरूरी है । जनक नंदिनी सीता ने भी पतिव्रता धर्म का पालन किया, इसी कारण पूरी दुनिया के लिए आज भी आदर्श मानी जाती हैं, सीता को पतिव्रता धर्म की शिक्षा माता अनुसूया ने वन प्रवास के दौरान दी थी, जो उन्हें रावण की कुदृष्टि और अग्नि परीक्षा में भी जीत दिलाई थी, उक्त बातें प्रखंड के मऊ बाजार स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में चल रहे लक्ष्मीनारायण यज्ञ में रामकथा के छठे दिन सोमवार को राम कथा मर्मज्ञ स्वामी आनंद नारायण शरण जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कही । स्वामी आनंद नारायण शरण ने कहा कि वनवास में सीता से सती अनुसूया की मुलाकात हुई तो उन्होंने पतिधर्म से जुड़ी बातें बताई थी, जिसका पालन कर मां सीता लंका में रावण की कुदृष्टि के साथ अयोध्या लौटने पर अग्नि परीक्षा में भी सफल रहीं । महर्षि अत्रि की पत्नी सती अनुसूया त्रेता युग से आज तक सभी स्त्रियों के लिए आदर्श हैं. रामायण कथा अनुसार वनवास के दौरान एक दिन रामजी, माता सीता और लक्ष्मण जी चित्रकूट में महर्षि अत्रि के आश्रम पहुंचे थे, यहां देवी अनुसूया ने सीता को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी. अनुसूया ने सीताजी को शिक्षा दी कि आदर्श पत्नी का पति के लिए व्यवहार कैसा होना चाहिए, उसे गृहस्थ जीवन कैसे संवारना चाहिए । स्वामी आनंद नारायण शरण ने इस कथा को विस्तार से समझाते हुए कहा कि वनवास के समय एक बार सीता जी की साड़ी फट गई, लेकिन वो जानती थीं कि रामजी साड़ी नहीं ला सकते तो उन्होंने धैर्य रखकर फटी साड़ी ही पहनी. जब सीताजी महर्षि अत्रि के आश्रम पहुंचीं तो देवी अनुसूया ने सीताजी को कपड़े दिए और पति के प्रति भाव की प्रशंसा की. सीताजी से कहा कि नारी का व्रत और धर्म एक ही है और वो है मन से पति की सेवा करना. पति पत्नी को जिस तरह रखे, उसे वैसे ही रहना चाहिए । नारी इस संसार में तपस्या और बलिदान के कारण ही पूजी जाती है, लेकिन उसके मन में कोई स्वार्थ भाव है या पति के लिए गलत विचार या फिर दूसरे पुरुष में रुचि है तो वो पूजनीय नहीं है ।नारी जीवन त्याग का प्रतीक है. माता-पिता भाई-बहन सभी संबंध एक नारी के लिए मित्रता की तरह हैं. पति वृद्ध हो, मानसिक कमजोर हो, रोगग्रस्त हो, मूर्ख हो, धनहीन हो, अंधा हो, क्रोधी हो, बहरा हो, हर स्थिति में सम्मानीय है. ऐसे पति का अपमान मृत्यु के बाद यम की यातना का भागी बनाता है । इस कथा के दौरान स्वामी आनंद नारायण शरण के सहयोगी प्रिया राजवंशी और जानवी राठौर द्वारा प्रस्तुत संगीतमय राम कथा को सुनकर एक तरफ से श्रोता भावुक हो रहे थे, तो दूसरी और कर्णप्रिय एवं मधुर आवाज में प्रस्तुत राम कथा लोगों को बेहद सुंदर एवं सुरमयी एहसास दिला रहा था ।
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