उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुआ महापर्व छठ


समस्तीपुर।
 लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ के अंतिम दिन  उदीयमान  सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ संपन्न हुआ। इससे पूर्व रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया था । सोमवार को विभिन्न घाटों पर भगवान भास्कर एवं छठी मैया की पूजा अर्चना के लिए मध्य रात्रि  12 बजे से ही लोग पहुंचने लगे थे, अहले सुबह चार बजे तक पूरा छठ घाट लोगों से खचाखच भर गया । छठ को लेकर प्रखंड के विभिन्न घाटों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा । प्रखंड मुख्यालय विद्यापतिनगर, शेरपुर, मऊ, मिर्जापुर गंज, गोपालपुर,  कष्टहारा, वाजिदपुर, हरपुर बोचहा एवं बढ़ौना में गंगा की सहायक बाया नदी के तट पर हजारों लोगों ने उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनका आशीर्वाद लिया । लोक आस्था के महापर्व छठ के अंतिम दिन सोमवार को विद्यापति नगर प्रखंड के विभिन्न छठ घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं छठ व्रती पहुंचे, छठ घाटो की लेकर कई दिनों से युवाओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा तैयारी की गई थी । मऊ बाजार के अखाड़ा घाट पर सर्वाधिक भीड़ देखी गई, यहां  नवयुवक छठ पूजा समिति द्वारा छठ महोत्सव 2022 का आयोजन किया गया  था । इस अवसर पर समिति से जुड़े सदस्यों के द्वारा घाटों की साफ-सफाई के साथ-साथ प्रकाश एवं जगह-जगह तोरण द्वार की व्यवस्था की गई थी, इसके अलावा अखाड़ा घाट पर सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित की गई थी, जो आकर्षण का विशेष केंद्र बना रहा।



      सादगी और संयम का प्रतीक महापर्व छठ उगते और डूबते सूर्य की पूजा करने वाला एकमात्र पर्व है. यह कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को मनाया जाता है ।

         मान्यता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं. यही वजह है कि छठ पूजा में शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य  देते समय उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है. ऐसा करने से व्रती की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती हैं. यह भी मान्‍यता है कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन की कई समस्याओं, स्वास्थ्य समस्‍याओं आदि से छुटकारा मिलता है।


समस्तीपुर से विकास कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट 

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