सूर्योपासना का दूसरा दिन आज, व्रती करेंगे खरना
आज व्रती करेंगे खरना
SAMVAD AAPTAK: सूर्य उपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हुआ. चार दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार के पहले दिन व्रतियों ने पूरी शुद्धता और निष्ठा के साथ अरवा चावल एवं चना दाल के साथ कद्दू का सेवन किया, तत्पश्चात परिवार के सदस्यों ने इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. छठ के दूसरे दिन आज खरना का होता है, यह महापर्व छठ के दूसरे दिन बेहद महत्वपूर्ण अनुष्ठान के रूप में मनाया जाता है. व्रतियों द्वारा उपवास रखकर खीर और रोटी के साथ केंला का प्रसाद चढ़ाया जाता है. खरना के प्रसाद को महाप्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना एवं मनोकामना शीघ्र पूरी होती है.
नहाय-खाय के बाद अगले दिन खरना होता है. इस पूजा में खरना का बहुत महत्व होता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को खरना मनाया जाता है. खरना में दिन भर व्रत के बाद व्रती रात को पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर उसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करते हैं.
करना का महत्व
छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है. नहाय-खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं. जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं. अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है. शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है. इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है. हालांकि मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं. पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है .
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