मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए मंदिरों में उमड़ा जनसैलाब, कई मंदिरों में चढ़ाई गई बलि
मंदिरों में चढ़ाई गई बकरे की बलि
Samvad AapTak News: अनुमंडल मुख्यालय दलसिंहसराय सहित विद्यापति नगर प्रखंड के कई दुर्गा मंदिरों में शारदीय नवरात्र के नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के लिए अहले सुबह से ही जन सैलाब उमड़ पड़ा | दलसिंह सराय अनुमंडल का सबसे पुराना दुर्गा मंदिर विद्यापतिनगर के मऊ बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर में मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के बाद बलि चढ़ाई गई। इसके अलावा शेरपुर बाजपुर एवं हरपुर बोचहा में भी बलि चढ़ाने की परंपरा है।
शारदीय नवरात्र में बलि प्रथा का विशेष महत्व है। साधक अपनी साधना को सिद्ध करने एवं मनोकामना पूर्ति के लिए माता को बकरे की बलि चढ़ाते हैं, हालांकि कुछ लोग इसे सही नहीं मानते हैं। सनातन संस्कृति का मूल आधार वेद-पुराण को माना जाता है, लेकिन व्यवहारिक तौर पर समाज में सदियों से चली आ रही मान्यताएं भी उतनी ही स्वीकार्य है, जितना वेद वाक्य।
शारदीय नवरात्र घर-घर में आयोजित होने वाला एक ऐसा अनुष्ठान है, जहां पूजा-उपासना के साथ-साथ देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि प्रदान करने की परम्परा चली आ रही है। शारदीय नवरात्र प्रत्यक्ष तौर पर नवमी के दिन से जुड़ा है। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गे की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। इस दिन यहां बड़े पैमाने पर बकरों की बलि दी जाती है। हालांकि आसुरी शक्ति को पराजित करने का यह प्रतीक दिवस माना जाता है।
नवरात्र में कई मंदिरों में नवमी के दिन को बलिदान के रूप में मनाया जाता है। इसकी मुख्य वजह है जिन घरों में नवरात्र का कलश स्थापन किया जाता है उन घरों में सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए बकरों की बलि दिए जाने की परम्परा है। हालांकि शास्त्र के जानकार बलि प्रथा पर एक मत नहीं हैं।
दलसिंहसराय से विकास कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें