लफंगों की छेड़खानी से तंग आकर छात्रा ने की खुदकुशी
Samvad AapTak: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुर्सी पर बैठने के बाद जो बदलाव किए उसकी चर्चा देशभर में खूब हुई। नीतीश कुमार की साइकिल-पोशाक और छात्राओं की सुरक्षा जैसी योजनाओं की चर्चा हर वक्त होती रही है।
लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इन्हीं दावों के बीच पटना जिला के मोकामा थाना क्षेत्र से जो दिल दहला देने वाली खबर सामने आ रही है,वह सुशासन की सरकार के ऊपर कई सवाल छोड़ जाती है।
जी हां हम बात कर रहें हैं मोकामा की जहां 10वीं क्लास में पढ़ने वाली 15वर्षीय छात्रा ने लफंगों की छेड़खानी से तंग आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
जी हां मामला पटना के मोकामा इलाके से जुड़ा है। यहां स्कूल जाने के दौरान दसवीं की एक छात्रा के साथ इस कदर छेड़खानी हुई कि उसने आखिरकार अपनी जिंदगी खत्म करना ही मुनासिब समझा। छात्रा मोकामा थाने के कन्हाईपुर गांव की रहने वाली बताई जा रही है। पिछले कई महीने से कुछ लफंगे लड़के लगातार उसके साथ छेड़खानी कर रहे थे। स्कूल जाने के दौरान लगातार छेड़खानी से परेशान छात्रा ने पढ़ाई लिखाई भी बंद कर दी थी।
हद तो तब हो गई जब बीते 13 अक्टूबर को छेड़खानी करने वाले लड़के उसके गांव तक पहुंच गए। इसके बाद छात्रा इतनी डर गई कि परेशान होकर उसने खुदकुशी कर ली। 14 साल की छात्रा के पिता पेशे से वकील हैं और बाढ़ कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। छात्रा की खुदकुशी करने के बाद परिजन बता रहे हैं कि उसे लगातार स्कूल जाने के दौरान धमकी दी जाती थी। अश्लील कमेंट किए जाते थे। इतना ही नहीं कोचिंग जाने के दौरान भी उसके साथ छेड़खानी की जाती थी।
बदनामी के डर से परिजन केस नहीं कर रहे थे लेकिन छात्रा ने परेशान होकर स्कूल जाना छोड़ दिया था वह केवल कोचिंग के लिए ही जाती थी जहां लफंगे लगातार छात्रा के साथ छेड़खानी कर रहे थे। वह अगवा करने और शादी करने की धमकी भी देते थे। 13 अक्टूबर को लफंगे युवक उसके घर तक पहुंच गए थे, छात्रा इसे लेकर बेहद सदमे में थी और इसी सदमे से नर्वस होकर उसने अपने दुपट्टे के फंदे के सहारे पंखे से लटककर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। अपनी बेटी की खुदकुशी के बाद वकील पिता ने इन चारों युवकों के ऊपर छेड़खानी और आत्महत्या के लिए मजबूर करने के साथ-साथ पॉस्को एक्ट की धाराओं के तहत मोकामा थाने में केस दर्ज किया है।
मोकामा में हुई इस घटना ने सुशासन वाली सरकार के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह भी कि क्या साइकिल पोशाक और छात्राओं की सुरक्षा की चर्चा केवल भाषणों तक ही सीमित है? क्या सरकार के ऊपर यह जिम्मेदारी नहीं है कि सड़क चलते लड़कियों के साथ छेड़खानी को रोका जा सके? बेटियां स्कूल बेखौफ होकर जा सके? ऐसे मनचले लफंगे लड़कों को माननीय न्यायालय द्वारा फास्ट ट्रैक कोर्ट के तहत कड़ी सजा दिया जाय ताकि स्कूली बच्चियां बेखौफ होकर स्कूल जा सके और मोकामा की घटना किसी दुसरी बेटी के साथ ना हो।
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