श्रद्धा पूर्वक की गई भगवान विश्वकर्मा की पूजा
संवाद आपतक न्यूज: अनुमंडल मुख्यालय दलसिंहसराय सहित विभिन्न प्रखंडों में शनिवार को श्रद्धा पूर्वक भगवान विश्वकर्मा पूजा की गई। सुबह से ही विभिन्न वाशिंग सेंटरों पर वाहनों की लंबी कतार देखी गई, वाहन मालिक अपनी अपनी गाड़ियों की साफ-सफाई के लिए घंटों इंतजार करते नजर आए, इसके अलावा विभिन्न फैक्ट्रियों, आंटा मिलो, एवं लोहे से संबंधित औजारों की साफ-सफाई के बाद भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की गई।
प्रत्येक वर्ष कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष भी 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा जयंती बड़े उल्लास के साथ मनाई गई। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने देवी-देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था. भगवान विश्वकर्मा को पहला वास्तुशिल्प रचनाकार भी कहते हैं। पंडित झुनझुन मिश्रा ने बताया कि विश्वकर्मा जयंती पर विभिन्न मशीनों एवं औजारों की पूजा की जाती है।
विश्वकर्मा जयंती का महत्व:-
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने विश्व के शिल्पीकार रूप में भगवान विश्वकर्मा को जिम्मेदारी सौंपी. भगवान विश्वकर्मा ने ही अपनी कला से कई महलों, राजधानियों, अस्त्र-शस्त्र, पुष्पक विमान समेत कई आश्चर्यजनक चीजों का निर्माण किया. ब्रह्मा जी ने सृष्टि को शेषनाग की जीभ पर रख दिया।
परंतु, शेषनाग के हिलने से सृष्टि को क्षति होती थी. तब ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा से इसका उपाय पूछा. भगवान विश्वकर्मा ने उपाय बताया और मेरू पर्वत को जल में रखवाकर सृष्टि को स्थिर कर दिया। भगवान विश्वकर्मा की शिल्पकला से ब्रह्माजी बेहद प्रभावित हुए. तब से भगवान विश्वकर्मा को पहले वास्तुकार के रूप में पूजा जाने लगा. इस दिन कारखाने और दुकानों में विभिन्न औजारों की पूजा की जाती है।
गौरतलब है कि शनिवार को विश्वकर्मा पूजा को लेकर सड़कों पर गाड़ियों की संख्या नगण्य रही, कई दुकानें बंद रहीं, एवं वाहन मालिकों द्वारा बड़े पैमाने पर भजन कीर्तन एवं प्रसाद का वितरण किया गया।
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