शारदीय नवरात्र 26 से, तैयारी शुरू
संवाद आपतक न्यूज: शारदीय नवरात्र 26 सितंबर (सोमवार) से शुरू हो रहा है, इसको लेकर तैयारियां जोरों पर है।अनुमंडल मुख्यालय दलसिंहसराय सहित विभिन्न प्रखंडों में दुर्गा मंदिरों में प्रतीमा निर्माण का काम अंतिम दौड़ में हैं।वहीं दूसरी ओर लोगों द्वारा भी नवरात्रि की तैयारी शुरू हो गई है।
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है।ऐसी मान्यता है कि इस दौरान माता रानी धरती पर आती है और 9 दिन यहां पर वास करती है तथा इन नौ दिनों में अपने भक्तों को उनकी हर मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
साल में चार नवरात्रि की है परंपरा
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रि होती है। जिसमें मुख्य रूप से दो नवरात्रि है।चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि सामान्य लोगों द्वारा खास तौर पर मनाया जाता है। हालांकि सर्वाधिक महत्वपूर्ण शारदीय नवरात्र को ही माना जाता है।आश्विन मास में मनाया जाने वाला यह त्योहार लोक आस्था से जुड़ा हुआ है।जन समूह के लिहाज से भी इसमें आम लीची की सहभागिता सबसे अधिक होती है।इस नवरात्रि में जगह-जगह पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है तथा विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है।
किसने किया था पहली बार नवरात्रि व्रत ?
नवरात्रि में माता के स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दुर्गा शक्ति प्रदान करने वाली देवी है इसी कारण विराट शक्ति पाने के लिए भक्त श्रद्धा पूर्वक मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं।
पौराणिक मान्यताओं में नवरात्रि कब और किसने शुरू की ? इस पर शास्त्र के जानकारों की राय बंटी हुई है।वाल्मिकि पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक परमशक्ति महिषासूरमरदनि देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की थी।
महाप्राण निराला के द्वारा रचित पुस्तक "राम की शक्ति पूजा" में लिखा है कि जब राम-रावण के बीच घनघोर युद्ध चल रहा था, तब एक समय ऐसा आया,जब राम उदास होकर अपने शिविर में चिंतित मुद्रा में यह सोच रहे थे कि शायद यह युद्ध मैं हार जाउंगा, तब जामवंत ने राम को शक्ति की अराधना का सलाह दिया। राम ने 108 कमल पुष्प मंगवाकर एकांत भाव से पूजा में लीन हो गए।धीरे- धीरे 9 दिन बीत गए। राम के द्वारा 107 पुष्प चढ़ा दिया गया पर जब अंतिम कमल पुष्प चढ़ाना चाहा तभी देवी के द्वारा परीक्षा लेने के लिए थाली से पुष्प गायब कर दिया, इसके बाद राम को स्मरण हुआ कि माता कौशल्या मुझे कमलनयन कह कर पुकारती थी, अभी तो मेरे पास दो दो कमल नयन (आंखें) हैं और जैसे ही राम ने अपनी आंख चढ़ाना चाहा, देवी प्रसन्न हुई और आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी जय होगी।दशमी तिथि के दिन राम ने किष्किंधा पर्वत से लंका जा कर राक्षस रावण का वध किया।तभी से नवरात्रि हर वर्ष मनाया जाने लगा।
समस्तीपुर से विकास कुमार पाण्डेय की रिपोर्ट
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